भारतीय रेलवे ने 11 मई तक 468 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाईं
विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, विद्यार्थियों और अन्य व्यक्तियों की आवाजाही के लिए विशेष रेलगाड़ियों से गृह मंत्रालय का आदेश प्राप्त होने के बाद भारतीय रेलवे ने ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया था।
11 मई तक देश भर के विभिन्न राज्यों से कुल 468 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाई गई हैं, जिनमें से 363 ट्रेनें अपने गंतव्य तक पहुंच भी चुकी हैं। और 105 ट्रेनें फिलहाल अपने-अपने गंतव्यों की ओर अग्रसर हैं।
इन 363 ट्रेनों का परिचालन विभिन्न राज्यों में पहुंचने पर समाप्त हुआ, जैसे कि आंध्र प्रदेश (1 ट्रेन), बिहार (100 ट्रेनें), हिमाचल प्रदेश (1 ट्रेन), झारखंड (22 ट्रेनें), मध्य प्रदेश (30 ट्रेनें), महाराष्ट्र (3 ट्रेनें), ओडिशा (25 ट्रेनें), राजस्थान (4 ट्रेनें), तेलंगाना (2 ट्रेनें), उत्तर प्रदेश (172 ट्रेनें), पश्चिम बंगाल (2 ट्रेनें) और तमिलनाडु (1 ट्रेन)।
इन स्पेशल ट्रेनों ने प्रवासियों को अनेक शहरों तक पहुंचाया है। जिनमें तिरुचिरापल्ली, टिटलागढ़, बरौनी, खंडवा, जगन्नाथपुर, खुर्दा रोड, प्रयागराज, छपरा, बलिया, गया, पूर्णिया, वाराणसी, दरभंगा, गोरखपुर, लखनऊ, जौनपुर, हटिया, बस्ती, कटिहार, दानापुर, मुजफ्फरपुर, सहरसा इत्यादि शामिल हैं। इन ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों से अधिकतम लगभग 1200 यात्री ही ‘सामाजिक दूरी बनाए रखने के दिशा-निर्देश’ का बाकायदा पालन करते हुए सफर कर सकते हैं। हालांकि जल्द ही इसमें सफर करने वाले यात्रियों की संख्या 12 सौ से बढ़ाकर 1700 करने पर विचार चल रहा है। इसी तरह ट्रेन में चढ़ने से पहले यात्रियों की समुचित स्क्रीनिंग या जांच सुनिश्चित की जाती है।
एक और विशेष बात यह है कि इन ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों से सफर के दौरान यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी दिया जाता है। हालांकि सरकार ये प्रयास अभी ऊंट के मुंह में जीरा के समान है क्योंकि अभी लाखों श्रमिक, विद्यार्थी और दूसरे लोग लॉकडाउन में दूसरे शहर में फंसे हुए हैं। जिन्हें अपने घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है। ऐसे में बहुत से सरकार की अपील के न मानते हुए पैदल ही अपने घर को निकल चुके हैं। जबकि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों /संघ शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर कहा कि वे पलायन करके आए श्रमिकों को उनके मूल स्थानों तक पहुंचने के लिए सड़क और रेलवे पटरियों पर चलने से रोकें। इसलिए, उन्हें अपने घर जाने के लिए ‘श्रमिक स्पेशल’ट्रेनों या बसों की सुविधा दी जा सकती है। केंद्र सरकार ने सभी राज्य / संघ शासित प्रदेशों की सरकारों को बिना किसी बाधा के और ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाने में रेलवे के साथ सहयोग करने को कहा है ताकि फंसे हुए श्रमिक तेजी से अपने घर तक पहुंच सकें।
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